भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पत्थर नहीं हुआ / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:40, 28 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश मे...' के साथ नया पन्ना बनाया)
रास्ता चलते
कौन जान सकता है
कि यह जो इतना ऊँचा
और मज़बूत
दीखता है पहाड़
थोड़ी-सी तेज़ हवा में
खिरने लगता है।
अभी यह
पत्थर नहीं हुआ।
(1989)