भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मछली या समंदर / जेन्नी शबनम
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:27, 31 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जेन्नी शबनम |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> बि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
बिना अपनी सहमति
अभिशप्त गलियों से
महज गुजरना
बदनामी का सबब बन जाता है
वैसे ही जैसे
किसी संक्रमित गली की
बहती हुई हवा
कोढ़ की तरह
मन में घाव बना देती है,
विवशता की कहानी
जाने कैसे समंदर में विलीन हो जाती है
और जब मछली
जाल में पकड़ कर आती है
तो समंदर निष्कलंक रह जाता है
सिर्फ मछली क्रूरता का दंश झेलती है !
एक सवाल
दुनिया से...
घात किसने लगाया
मछली या समंदर ने ?
(फरवरी 1, 2012)