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मुझको पानी सा कर गया पानी / अश्वनी शर्मा
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मुझको पानी सा कर गया पानी
जब भी आंखों में भर गया पानी।
राज जग जीतने के बतलाते
जिनकी आंखों का मर गया पानी।
बात महफिल में हक की होती है
जाने किस का उतर गया पानी।
कल जो सैलाब था जमाने पर
अब समंदर के घर गया पानी।
दौर के तौर को बदल देगा
जब भी सर से गुज़र गया पानी।
कैसी हमवार कर गया दुनिया
अब तो जाने किधर गया पानी।
अब भला क्या हिसाब करना है
राह होगी जिधर गया पानी।