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वो आदम तो जमा जमाया है / अश्वनी शर्मा
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वो आदम तो जमा जमाया है
कद से लम्बा उसका साया है।
मापदण्ड क्या पारदर्शिता के
एक मुखौटा सजा सजाया है।
चाहे कतरा था, कतरा ही हूं
मैंने अपना कौल निभाया है।
जो गंवार कहलाता बस्ती में
गांव की खुशबू शहर में लाया है।
वर्णव्यवस्था खत्म हुई लेकिन
सबने बनिया-धर्म निभाया है।
जो, जी चाहे, आओ, पा जाओ
मंगतों ने भगवान बनाया है।
धरती के कब्जाधारी सुन लें
दावा लाया, मां का जाया है।