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अब तो अजपा जपु मन मेरे / मलूकदास

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अब तो अजपा जपु मन मेरे .
सुर नर असुर टहलुआ जाके मुनि गंधर्व हैं जाके चेरे.
दस औतार देखि मत भूलौ, ऐसे रूप घनेरे.
अलख पुरुष के हाथ बिकने जब तैं नैननि हेरे .
कह मलूक तू चेत अचेता काल न आवै नेरे .
नाम हमारा खाक है, हम खाकी बंदे .
खाकहि से पैदा किये अति गाफिल गंदे .