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मेरे कारण कानूनों का जंगल है / अश्वनी शर्मा

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मेरे कारण कानूनों का जंगल है
मेरे कारण ये आलीशां दंगल है।

वो बबूल का पेड़ दिखाकर कहते हैं
तेरे हक में तो प्यारे ये संदल हैं।

मेरा सूरज ठंडा सर्द हवाएं हैं
मेरे हक में सिर्फ अधफटा कंबल है।

जिनको चिंता करनी वो करते जायें
मैं क्या जानूं, किसमें मेरा मंगल है।

हाथ पकड़ते, हाथ छोड़ते उम्र हुई
मेरा जीवट ही अब मेरा संबल है।

वही टोटके बतलाते हैं जीने के
जिनके दर्शन करना एक अमंगल है।

दरबानों अब ये समझो ताकीद तुम्हें
मेरे हाथों में ताला है, संकल है।