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सांस मेरी और पहरा आपका / अश्वनी शर्मा

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सांस मेरी और पहरा आपका
ये फकत अंदाज ठहरा आपका।

रेत के जाये हैं, हम तो रेत से
सोचिये, गर हो ये सहरा आपका।

फाड़कर दामन हमारे सी दिया
लीजिये परचम सुनहरा आपका।

पीढ़ियां गुजरी हैं कोशिश छोड़ दो
हम न सीखेंगे ककहरा आपका।

हो गये कुर्बान हम जी जान से
क्या ग़ज़ब मासूम चेहरा आपका।

चीखता हूं मैं, मेरा अधिकार है
हो भले ही गांव बहरा आपका।