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सुधरे सिलह राखे,वायुवेग वाह राखें / रघुनाथ
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सुधरे सिलाह राखै, वायुवेग वाह राखै,
रसद की राह राखै, राखै रहै बन को.
चोर को समाज राखै बजा औ नजर राखै,
खबरिके काज बहुरुपि हर फन को .
आगम भखैया राखै, सगुन लेवैया राखै,
कहै रघुनाथ औ बिचार बीच मन को.
बाजी हारें कबहूँ न औसर के पड़े जौन,
ताजी राखै प्रजन को, राजी सुभटन को.