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बहुत जमीनी ये खुद्दारी है यारो / अश्वनी शर्मा

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बहुत जमीनी ये खुद्दारी है यारो
बस मिजाज़ की कारगुज़ारी है यारो।

मख़मल से अहसास अभी तक जिं़दा हैं
मां ने इतनी नज़र उतारी है यारो।

सपने को ताबीर कहां मिल पाती है
सारे जग की ज़िम्मेदारी है यारो।

नाइंसाफी चलन पुराना दुनिया का
रीत-रीत अब अपनी बारी है यारो।

कई ढोंगियों की जमात सिर जोड़े है
शुरू मुल्क में रायशुमारी है यारो।

सच्ची आवाज़ो का हमल गिरा देंगे
बहुत सलीके की गद्दारी है यारो।

धूप, चाँदनी, टुकड़ा-टुकड़ा ही देंगे
रोशनदानों को बीमारी है यारो।