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शब्द कहां बेमानी होंगे / अश्वनी शर्मा

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शब्द कहां बेमानी होंगे
बस अनकही कहानी होगे।

वक्त हमें जितना घिस देगा
हम उतने लासानी होंगे।

रस्मों को तोड़ा गर मैंने
जुमले कई जुबानी होंगे।

घर की नींव हिली गर थोड़ी
दावे कुछ दीवानी होंगे।

जश्न कटे नाखूनों का कर
लोग कई बलिदानी होंगे।

तिल का ताड़ बना सकते जो
लोग वही कुछ ज्ञानी होंगे।

वही मशालें ढो पायेंगे
जो थोड़े दरम्यानी होंगे।