भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
संघर्ष नहीं रुकता / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:13, 12 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=समुद्र से ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
चलता रहे
अन्दर
असमाप्त - रुदन
होता रहे - विध्वंस
जलती रहे - आस्थएं
धधकता रहे - विष्वास
पिघलते रहे - सपने
खोती रहें - उम्मीदें
चुकती रहें - ऊर्जा
मिटता रहे - उत्साह
रुकना नहीं है कुछ
चलनें दो सतत, अबाध, शाश्वत