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अंतहीन यात्राओं का अंत / संगीता गुप्ता
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मन झूम रहा
जाना है
यात्रा पर
बरसों की तलाष,
यहाँ से वहाँ
भटकने की त्रासदी,
षेश कर देगी दोनों को
यात्रा पर जाना है
जानती है वह
उस तक पहुँच
अंतहीन यात्राओं का ही
अंत
फिर भी
मन झूम रहा है