भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोह भंग - 1 / संगीता गुप्ता

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 13 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=समुद्र से ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



उसने कहा
जीवन - अभिशाप
इसे वरदान कर दो

वह होकर भी
कहीं नहीं,
उसके होने को
सार्थक कर दो

वह आया

बरसों - बरस वह
जान नहीं पायी
अब न जीवन था
न वह थी