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लाठी और बाँसुरी / हरिवंशराय बच्चन

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                पुरुष

लाडो,बाँस की बनाऊं लठिया की बंसिया?
          बंसिया की लठिया?लठिया की बंसिया?
लाडो,बाँस की बनाऊं लठिया की बंसिया?

बंसी-धुन कानों में पड़ती,
गोरी के दिल को पकड़ती,
भोरी मछरी को जैसे,मछुआ की कटिया;
            मछुआ की कटिया,मछुआ की कटिया;
लाडो,बाँस की बनाऊं लठिया की बंसिया?

जग में दुश्मन भी बन जाते,
मौका पा नीचा दिखलाते,
लाठी रहती जिसके काँधे,उसकी ऊँची पगिया;
            उसकी ऊँची पगिया,उसकी ऊँची पगिया;
लाडो,बाँस की बनाऊं लठिया की बंसिया?


               स्त्री

राजा,बाँस की बना ले लठिया औ' बंसिया.
             लठिया औ'बंसिया,बंसिया औ'लठिया;
राजा,बाँस की बना ले लठिया औ' बंसिया.

बंसी तेरी पीर बताए,
सुनकर मेरा मन अकुलाए,
सोने दे न जगने दे मेरी फूल-खटिया,
             मेरी फूल-सेजिया,मेरी सूनी सेजिया;
राजा,बाँस की बना ले लठिया औ' बंसिया.

प्रेमी के दुश्मन बहुतेरे,
ऐरे-गैरे-नत्थू-खैरे,
हारे,भागे न किसी से मेरा रंग-रसिया;
             मेरा रंग-रसिया,मेरा रन-रसिया;
राजा,बाँस की बना ले लठिया औ' बंसिया.