Last modified on 23 सितम्बर 2012, at 18:19

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' / परिचय

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:19, 23 सितम्बर 2012 का अवतरण

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' की कविता कोश में रचनाएँ
200px-Man silhouette.png
आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें

सनेहीजी का जन्म श्रावण शुक्ल 13, संवत्‌ 1940 वि. तदनुसार 21 अगस्त, 1883 ई. को हुआ। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के हडहा ग्राम में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा ग्राम पाठशाला में हुई। स्वाध्याय द्वारा हिंदी, उर्दू तथा फारसी का ज्ञान प्राप्त किया। सन्‌ 1899 में सनेहीजी अपने गांव से आठ मील दूर बरहर नामक गांव के प्राइमरी स्कूल के अध्यापक नियुक्त हुए। सन्‌ 1921 में टाउन स्कूल की हेडमास्टरी से त्यागपत्र दे दिया और शिक्षण-कार्य की सरकारी नौकरी से मुक्ति पा ली। यह गांधीजी के आंदोलन का प्रभाव था जिससे प्रेरित और प्रभावित होकर सनेहीजी ने त्यागपत्र दिया था। इसी वर्ष श्रेष्ठ उपन्यासकार प्रेमचंद ने भी त्यागपत्र दे दिया था। आरंभ में सनेहीजी ब्रजभाषा में ही लिखते थे और रीति-परंपरा का अनुकरण करते थे। उस ज़माने की प्रसिद्ध काव्य-पत्रिकाओं में सनेहीजी की रचनाएं रसिक-रहस्य, साहित्य-सरोवर, रसिक-मित्र इत्यादि में छपने लगी थीं। प्रेम और शृंगार की कविताओं में इनका उपनाम 'सनेही और पौराणिक तथा सामाजिक विषयों वाली कविताओं में 'त्रिशूल है। इनके समय में कविता का एक 'सनेही स्कूल ही प्रचलित हो गया था। इनके मुख्य काव्य संग्रह हैं- 'प्रेम-पचीसी, 'त्रिशूल तरंग तथा 'कृषक-क्रंदन। इन्हें हिंदी काव्य सम्मेलनों का प्रतिष्ठापक कहा जा सकता है। सनेहीजी द्वारा रचित प्रमुख कृतियां हैं :- प्रेमपचीसी, गप्पाष्टक, कुसुमांजलि, कृषक-क्रन्दन, त्रिशूल तरंग, राष्ट्रीय मंत्र, संजीवनी, राष्ट्रीय वीणा (द्वितीय भाग), कलामे-त्रिशूल, करुणा-कादम्बिनी और सनेही रचनावली। सनेहीजी का 20 मई 1972 को निधन होगया।