खुशबू वाले दिन गुलाब के जाने कहाँ गये ?
तितली वाले पर किताब के जाने कहाँ गये ?
दिन भर नंगे पाँव दौड़ कर गलियों में जाना
माँ का आँचल पकड़ रूठना रो रोकर खाना
पन्ने वे बिखरी किताब के जाने कहाँ गये ?
परियों वाले सपने बूड़ी दादी की लोरी
भैय्या के टूटे गुल्लक से पैसों की चोरी
मुठ्ठी के सारे कसाव वे जाने कहाँ गये ?
राजा जैसा रख रखाव था गुड़ियों से जेवर
सारा घर हँस कर सहता था गुस्से के तेवर
इतने सारे पल लगाव के जाने कहाँ गये ?