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क्रांति की लपट उठी / विमल राजस्थानी
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क्रांति की लपट उठी
शांति की जली कुटी
तिनका-तिनका जल रहा
चिंगारियों का झुंड बाँधकर हुजूम चल रहा
क्रांति-दीप तरुण! आज द्वार-द्वार जल रहा
सुलग रहा हवन-कुंड आज राष्ट्र का, किशोर!
चाह रहे अगर देखना स्वतंत्रता का भोर
आहुतियाँ बन-बन कर तुम चले चलो जवान!
तुम बढ़े चलो महान!