भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तूफान मांगता हूँ / विमल राजस्थानी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:30, 17 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल राजस्थानी |संग्रह=झंझा / विम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तूफान मांगता हूँ
आसूँ भरे नयन से वरदान मांगता हूँ
पीडा भरे हृदय से वरदान मांगता हूँ

वह दर्द जो की उठ कर
आहे निकालता है
वह दर्द जो की उठ कर
आँसू उछलता है

उस अस्रु से, दर्द से कल्याण मांगता हूँ

रौंदे गए हृदय से
कुचले गए हृदय से
--हँसा कर के चुटकियों में--
मसले गए हृदय से

बिद्रोह का भयंकर तूफान मांगता हूँ
आंसू भरे नयन से वरदान मांगता हूँ

तुम पूछ रहे-क्या मैं
तूफान का करूँगा?

आँसू भरे नयन में बिजलियाँ भरूँगा

उन बिजलियों से दुःख का निर्वान मांगता हूँ
उस अश्रु से, दर्द से कल्याण मांगता हूँ