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व्याकुल यह बादल की साँझ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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मूल बांगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल

('गीत पंचशती' में 'प्रकृति' के अन्तर्गत 54 वीं गीत-संख्या के रूप में संकलित)