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निरुपमा, करना मुझको क्षमा‍ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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निरुपमा, करना मुझको क्षमा

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रचनाकार: रवीन्द्रनाथ ठाकुर
अनुवादक: प्रयाग शुक्ल
प्रकाशक: सस्ता साहित्य मंडल, एन-77, पहली मंज़िल, कनाट सर्कस, नई दिल्ली-110001
वर्ष: 2011
मूल भाषा: बंगला
विषय: --
शैली: गीतों का अनुवाद
पृष्ठ संख्या: 92
ISBN: 978-81-7309-596-2
विविध: रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गीतों के वृहद् संकलन 'गीतवितान' से चुनकर इन गीतों का अनुवाद मूल बांग्ला से ही किया गया है। रवीन्द्रनाथ के गीतों में गजब की संक्षिप्ति और प्रवहमानता है, और शब्दों से उत्पन्न होने वाले संगीत की अनूठी उपलब्धि है। इस मामले में वे जयदेव और विद्यापति की परम्परा में ही आते हैं। इन अनुवादों में रवीन्द्रनाथ के गीतों के सुरों को, उनकी लयात्मक गति को उनके संगीत-तत्व को सुरक्षित रखने का भरपूर प्रयत्न प्रयाग शुक्ल ने किया है। अचरज नहीं कि इन गीतों को अनुवाद में पढ़ते हुए भी हम उनके प्राण-तत्व से जितना अनुप्राणित होते हैं, उतना ही उनके गान-तत्व से भी होते हैं। रवीन्द्रनाथ ने अपने गीतों को कुछ प्रमुख शीर्षकों में बाँटा है, यथा 'प्रेम', 'पूजा', 'प्रकृति', 'विचित्र', 'स्वदेश' आदि में, पर, हर गीत के शीर्षक नहीं दिए हैं। यहाँ हर गीत की परिस्थिति के लिए उसका एक शीर्षक दे दिया गया है। प्रस्तुत गीतों में प्रेम, पूजा और प्रकृति-सम्बन्धी गीत ही अधिक हैं। प्रेम ही उनके गीतों का प्राण-तत्व है। रवीन्द्रनाथ अपनी कविताओं और गीतों में भेद करते थे। उनका मानना था कि भले ही उनकी कविताएँ, नाटक, उपन्यास, कहानियाँ भुला दिए जाएँ, पर बंगाली समाज उनके गीतों को अवश्य गाएगा। वैसा ही हुआ भी है, और बंगाली समाज ही क्यों, उनके गीत दुनिया भर में गूँजे हैं। हिन्दी में 'गीतांजलि' के अनुवादों को छोड़कर, उनके गीतों के अनुवाद कम ही उपलब्ध हैं।

इस पन्ने पर दी गयी रचनाओं को विश्व भर के योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गयी प्रकाशक संबंधी जानकारी प्रिंटेड पुस्तक खरीदने में आपकी सहायता के लिये दी गयी है।