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उस धुंधले कमरे में / ओसिप मंदेलश्ताम

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उस
धुंधले कमरे से
अचानक
हल्की शाल ओढे़
बाहर आईं तुम

किसी को
तकलीफ़
नहीं दी
हमने
सोते हुए
नौकरों को
नहीं जगाया


(रचनाकाल : 1908)