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रात ने क्या-क्या ख़्वाब दिखाए / शैलेन्द्र
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रात ने क्या क्या ख्वाब दिखाये
रंग भरे सौ जाल बिछाये
आँखें खुली तो सपने टूटे
रह गये ग़म के काले साये
रात ने ...
हम ने तो चाहा भूल भी जायें
वो अफ़साना क्यों दोहोरायें
दिल रह रह के याद दिलाये
रात ने क्या क्या ...
दिल में दिल का ददर् छुपाये
चलो जहां क़िस्मत ले जाये
दुनिया परायी लोग पराये
रात ने क्या क्या ...