भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुझको भी राधा बना ले नंदलाल / बालकवि बैरागी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:41, 2 नवम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |संग्रह= }} Category:गीत <poem> <poeM> मुझको भी ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मुझको भी राधा बना ले नंदलाल
हो नंदलाल, रे नंदलाल
संग संग चढ़ाऊँगी नंदजी की गैयाँ
आठों पहर लूँगी तेरी बलैयाँ
बन के रहूँगी छबीली तेरी छैयाँ
मन के महल में रखूँगी नटखट
तुझे लाखों जनम लाखों साल
हो रे नंदलाल, रे नंदलाल
मुझ को भी राधा बना ले नंदलाल
मुझको भी राधा बना ले नंदलाल
यशोदा की अँगना मैं दूँगी बुहारी
तेरी मुरलिया को दूँगी न गारी
मटकी लुटा दूँगी माखन की सारी
बंसी बजैया ...
बंसी बजैया ओ रे कन्हैया
मुझ को भी कर दे निहाल
मुझको भी राधा ...
चरणों में तेरे लिपटके रहूँगी
तेरा दिया हर सुख\-दुख सहूँगी
छलिये तुझे कभी कुछ ना कहूँगी
जमुना किनारे ...
जमुना किनारे रखूँगी सजाके
काया का केसरिया थाल
मुझको भी राधा ..