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मैं आज की नारी हूँ / भानुमती नागदान

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1. मैं आज की नारी हूँ ।
मैं आज की नारी हूँ ।
ना तो मैं अबला हूँ ।
ना तो लाचार हूँ ।
और ना ही कमज़ोर हूँ ।
मैं अपने पैरों पर खड़ी
स्वतंत्र जिंदगी जीती हूँ ।

मैं आज की नारी हूँ ।
मैं अपनी परमपराएँ खुद बनाती हूँ ।
मैं अपने खुद के बनाये हुए रीती रिवाज़ों में विश्वास करती हूँ ।
मैं अपने धर्म-कर्म के नियमों को खुद बनाती हूँ ।
मैं अपने पाप-पुण्य का लेखा जोखा पूरी इमानदारी से करती हूँ ।
मैं अपने समाज का निर्माण खुद करती हूँ ।
मैं आज की नारी हूँ ।

ना तो मैं सती हूँ ना तो देवी हूँ ।
आज के युग की मैं सामान्य नारी हूँ ।
अपनी तकदीर की रेखाएँ खुद बनाती हूँ ।
अपने दोनों हाथों में अपनी मान मर्यादा को लेकर आगे बढ़ती हूँ ।
अपने कर्तव्य और आदर्शों का पालन गर्व से करती हूँ ।
मैं आज की नारी हूँ ।
मेरा पति मेरा परमेश्वर नहीं
किंतु मेरा परमेश्वर नहीं
किंतु मेरा जीवन-साथी , मेरा दोस्त और मेरा हमसफर है।
जिनसे कदम से कदम मिलाकर
बड़े आत्म सम्मान के साथ और स्वाभिमान के साथ
अपने जीवन के हर उतार-चढ़ाव को पार करती हूँ ।

मैं आज की नारी हूँ ।
अपनी लक्ष्मण रेखा खुद खींचती हूँ ।
अपनी और अपने परिवार की रक्षा करती हूँ ।
मुझे अपने आप पर गर्व है।
मैं आज की नारी हूँ ।