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विरासत में / संगीता गुप्ता
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विरासत में
बेगानापन, अकेलापन
व अंधेरे ही मिले मुझे
अपने पीछे
छोड़ जाऊंगी
अपनेपन की विरासत मैं
छोड़ जाऊंगी
चाँदनी की
मुट्ठी भर उजास
अमावस के समान्तर
छोड़ जाऊंगी
अपनी बातों का पुलिन्दा
खिलखिलाती हंसी
खुनक से जिसकी
भर जायेगा
तुम्हारा एकान्त