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धरती / संगीता गुप्ता

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धरती
मुझे देर तक
सह नहीं पाती
जब भी रोंपती हूँ जड़ें
अज्ञात दिशाओं से उमड़ते
आँधी - तुफान
आजमाने लगते हैं मुझे

असमाप्त चुनौती है
प्रतिकूलताओं से जूझता
मेरा अस्तित्व