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गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ / प्रदीप

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गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये)

आ गया आँचल किसी का आज मेरे हाथ में
है चकोरी आज अपने चँद्रमा के साथ में
चल पडी दो किश्तीयाँ आज एक धार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

छू रही तन मन को मेरे प्रीत की पुर्वाईयाँ
दूर की अम्ब्राईओं में गुँजती शेहनाईयाँ
सौ गुना निखार है आज तो सिंगार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

ज़िंदगी भर के लिये तू बाँह मेरी थाम ले
जब तलक ये साँस है हर साँस तेरा नाम ले
इक नयी दुनिया खडी अपने इंतेज़ार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये
चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये