भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँख में आँसू का / अकबर हैदराबादी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 19 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अकबर हैदराबादी }} Category:गज़ल <poeM> आँख ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है
है तमन्ना का वही जो ज़िंदगी का हाल है
यूँ धुआँ देने लगा है जिस्म ओ जाँ का अलाओ
जैसे रग रग में रवाँ इक आतिश-ए-सय्याल है
फैलते जाते हैं दाम-ए-नारसी के दाएरे
तेरे मेरे दरमियाँ किन हादसों का जाल है
घिर गई है दो ज़मानों की कशाकश में हयात
इक तरफ ज़ंजीर-ए-माज़ी एक जानिब हाल है
हिज्र की राहों से 'अकबर' मंज़िल-ए-दीदार तक
यूँ है जैसे दरमियाँ इक रौशनी का साल है.