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सजन में है शुआर-ए-आशनाई / वली दक्कनी
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सजन में है शुआर-ए-आशनाई
न हो क्यूँ दिल शिकार-ए-आशनाई
सनम तेरी मुरव्वत पे नज़र कर
हुआ हूँ बेक़रार-ए-आशनाई
निपट दुश्वार था मुझ दिल में ऐ जाँ
ज़मान-ए-इंतिज़ार-ए-आशनाई
हुआ मालूम तुझ मिलने सूँ लालन
कि रंगीं है बहार-ए-आशनाई
हया के आब सूँ बाग़-ए-वफ़ा में
रवाँ है जू-ए-बार-ए-आशनाई
वफ़ा दुश्मन न हो ऐ आशनारू
वफ़ा पर है मदार-ए-आशनाई
मुरव्वत के हमेशा हाथ में है
इनान-ए-इख्ति़यार-ए-आशनाई
मदारा है हिसार-ए-आशनाई
'वली' इस वास्ते गिर्यां हूँ हर आन
कि तर हो सब्ज़ाज़ार-ए-आशनाई