भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिघला चाँद / अनीता कपूर

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:46, 23 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता कपूर }} {{KKCatKavita}} <poem> चाँद रात भर ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चाँद रात भर पिघलता रहा
पिघला चाँद टपकता रहा
मैं हथेलियाँ फैलाये बैठी रही
कोई बूँद बन तुम शायद गिरो