भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपनों के फ़ाहे / अनीता कपूर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:09, 23 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता कपूर }} {{KKCatKavita}} <poem> कल रात नींद ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कल रात नींद मेरी
कुछ जख्मी हो गयी थी
चलूँ, आज रात सपनों के
कुछ फ़ाहे और पैबंद लगा दूँ