दिन है
किसी और का
सोना का हिरन,
मेरा है
भैंस की खाल का
मरा दिन ।
यही कहता है
वृद्ध रामदहिन
यही कहती है
उसकी धरैतिन,
जब से
चल बसा
उनका लाड़ला ।
दिन है
किसी और का
सोना का हिरन,
मेरा है
भैंस की खाल का
मरा दिन ।
यही कहता है
वृद्ध रामदहिन
यही कहती है
उसकी धरैतिन,
जब से
चल बसा
उनका लाड़ला ।