भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुमको मेरे दिल ने पुकारा है / गुलशन बावरा

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:44, 12 अप्रैल 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमको मेरे दिल ने पुकारा है बड़े नाज़ से
अपनी आवाज़ मिला लो मेरी आवाज़ से
मुझको पहली नज़र में लगा है यूं

साथ सदियों पुराना है अपना
और सदियों ही रहना पड़ेगा
तुमको बनके इन आंखो का सपना

युग-युग की कसम निभाके सनम
इस जग की रसमें निभाके सनम
अपनी आवाज़ मिला लो मेरी आवाज़ से

प्यार की इन हसीं वादियों में
झूम के यूं ही मिलते रहेंगे
ज़िंदगानी के सुहाने सफ़र में
हमसफ़र बनके चलते रहेंगे

इस दिल के अरमान जगाके सनम
मुझको बाहों की राहों में लाके सनम
अपनी आवाज़ मिला लो मेरी आवाज़ से

(फ़िल्म 'रफूचक्कर'(१९७५)से)