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आणो आयो रे पारीब्रम्ह को / निमाड़ी
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    आणो आयो रे पारीब्रम्ह को,
    आरे सासरिया को जाणो
(१)  चलो म्हारा संग की हो सहेलीया,
    आपुण पाणी क चाला
    उंडो कुवो न मुख साकड़ो
    आन रेशम डोर लगावा...
    आणो आयो रे...
(२)  चलो म्हारा संग की हो सहेलीया,
    आपुण बाग म चाला
    चंपा चमेली दवणो मोगरो
    फूल गजरा गुथावा...
    आणो आयो रे...
(३)  चलो म्हारा संग की हो सहेलीया,
    आपुण शीश गुथावा
    कछु गुथा न कछु गुथणा
    मोतीयाँ भांग सवारा...
    आणो आयो रे...
(४)  चलो म्हारा संग की हो सहेलीया,
    आपुण चोली सीलावा
    कछु सीवी न कछु सीवणा
    चोली अंग लगावा...
    आणो आयो रे...
(५) कहत कबीर धर्मराज से,
    साहेब सुण लेणा
    सेन भगत जा की बिनती
    राखो चरण आधार....
    आणो आयो रे...
	
	