भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी तरह किसी से मुहब्बत उसे भी थी / मोहसिन नक़वी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:45, 25 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहसिन नक़वी }} {{KKCatGhazal}} <poem> ज़िक्र-ए-श...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िक्र-ए-शब-ए-फिराक से वहशत उसे भी थी
मेरी तरह किसी से मुहब्बत उसे भी थी

मुझको भी शौक था नए चेहरों कि दीद का
रास्ता बदल के चलने की आदत उसे भी थी

उस रात देर तक वो रहा महव-ए-गुफ्तगू
मसरूफ़ मैं भी कम था फरागत उसे भी थी

सुनता था वो भी सबसे पुरानी कहानियाँ
ताज़ा रफाकतों की ज़रूरत उसे भी थी

मुझ से बिछड़ के शहर में घुल मिल गया वो शख्स
हालांकि शहर भर से अदावत उसे भी थी

वो मुझ से बढ़ के ज़ब्त का आदी था जी गया
वरना हर एक सांस क़यामत उसे भी थी