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वो चाहने वालों को मुखातिब नहीं करता / मोहसिन नक़वी

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वो चाहने वालो को मुखातिब नही करता
और तर्क-ए-तालुक की मैं वजाहत नही करता

वो अपनी जफ़ाओं पे नादिम नही होता
मैं अपनी वफाओं की तिजारत नही करता

खुशबू किसी ताश-हीर की मुहताज नही होती
सच्चा हूँ मगर अपनी वकालत नही करता

एहसास की सूली पे लटक जाता हूँ अक्सर
मैं जब्र-ए-मुसल्सल की शिकायत नही करता

मैं अजमत-ए-इन्सान का कायल तो हूँ मोहसिन
लेकिन कभी बन्दों की इबादत नही करता