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रिश्ते / पवन कुमार
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Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:30, 27 अप्रैल 2013 का अवतरण
क्या ख़तो-
किताबत का होगा,
ये रिश्ते हैं, पल दो पल के,
हैं आज अगर ये जिंदा तो,
क्या शर्त है कल तक जीने की।
ये आसमान का धुंधलापन,
मीलों तक छाई ख़ामोशी,
है भोर का कोई छोर नहीं,
क्या चाह रखूँ अब जीने की।