भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नक़्श कितने जुदा हैं / पवन कुमार
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:36, 27 अप्रैल 2013 का अवतरण
ज़ात
घर
घराना
मुल्क
पैदाइश
माँ
और भी कई फितरतें
इंसानी हों या
ख़ुदाया
एक सी होने के बावजूद
उन दोनों के नक़्श
कितने जुदा हैं।
एक ही पहाड़ी दोनों की
माँ है
एक ही मुल्क
इन दोनों की पहचान है,
पैदाइश भी दोनों की
एक सी है,
और भी तमाम पहचानें
एक सी हैं।
नाम भी दोनों के एक से हैं,
...पत्थर!
मगर नक़्श दोनों के
कितने जुदा हैं।
एक में धार है
सिर पे मारा जाता है
चोट पहुँचाने के काम आता है,
और एक
...दरियाओं का हम रक़्स होकर
गोल हो गया है
सिर से लगाया जाता है
इबादतों के काम आता है।