अर्थ / कुमार अनुपम
से अकेली होना चाहती थी
वह
पाना चाहती थी
निजता का अर्थ इसी उधेड़-बुन में थी
तो जैसा कि चलन है
चाहे सुख हो या दुख
आते हैं मेल-मदद के लिए खैरख्वाह
आए, और उड़ेल दिए
सहानुभूति से लथपथ अर्थ -
-‘कि तुम्हारा वजूद
सचमुच कितना कठिन है
इस छिछोर दुनिया में
-‘कि अब तो तुम्हें ही एक-अकेले
सँभालना है अपना संसार
-‘कि दुख ढीठ हैं और दुर्निवार’
गए तो उसके अकेलेपन को
और अकेला कर गए
उसके अस्तित्व को लेकिन और और मजबूत
अनर्गल शब्दों की अर्थकथा
रात ढही आती है काट नहीं
पाट नहीं दीखते हैं बढ़ियाई राप्ती के
राह पर बुड़ाव-भर पानी है
पार उतराने की मजबूर नादानीनुमा परिचित कहानी है
घर है उस पार
व्यापार इधर आए थे दाना-पानी के जुगाड़ में
ओझ गए बाढ़ में
हाड़-तोड़ जो भी कमाई है जाय भले
बूड़ता हुआ उधर घर है परिवार है अगोरता हुआ अमोल
हिचिर मिचिर को धकेल
त्राहि त्राहि तहस नहस करती हुई इस धार को नकेल
की तरह नाथती
अपने अपने साहस और सूझ का हाथ थाम
उद्दाम वेग को तोलना
धारा में भले लहराते हुए डोलना
हईशा हईशा तनिक और हईशा जैसे अनर्गल शब्दों
को सबल-भर बोलना था... बोलना है
घर है उस पार
टटोलना है... चुनना है...