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पिया बाज पियाला जाए ना / क़ुली 'क़ुतुब' शाह
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पिया बाज पियाला जाए ना
पिया बाज यक तिल जिया जाए ना
कही थे पिया बिन सुबूरी करूँ
कहया जाए अम्मा किया जाए ना
नहीं इश्क़ जिस दो बड़ा कोड़ है
कर्धी उस से मिल बे-सिया जाए ना
‘क़ुतुब’ शह ने दे मुज दिवाने को पंद
दिवाने कूँ कुच पंद दिया जाए ना