भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ून की रवानी के ख़िलाफ़ / वेरा पावलोवा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:31, 16 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेरा पावलोवा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ख़ून की रवानी के ख़िलाफ़
जूझता है जोश जन्म लेने को,
ज़बान की रवानी के ख़िलाफ़
लफ्ज़ तोड़ देते हैं पतवार,
ख़यालों की रवानी के ख़िलाफ़
बहती है ख़्वाबों की कश्ती,
बच्चे की तरह हाथ चलाते
तैरती हूँ मैं
आँसुओं की रवानी के ख़िलाफ़ ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल