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असह है, आह ! / महेन्द्र भटनागर
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असह है, आह!
प्रीति का निर्वाह —
- 	छ्ल-छदम मय,
 
- 	छ्ल-छदम मय,
मिथ्या … भुलावा
झूठ … मायाजाल! 
- 	तब यह ज़िंदगी —
- 	गदली - कुरूपा अति भयावह
- 	धधकता दाह!
 
- 	तब यह ज़िंदगी —
 
	
	

