भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उम्‍मीद / अच्युतानंद मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:09, 26 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानंद मिश्र |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक गेंद डूब चुकी है
एक पेड़ पर बैठे हैं लोग
एक पेड़ डूब जाएगा
डूब जाएंगी अन्‍न की स्‍मृतियाँ
इस भयंकर प्रलयकारी जलविस्‍तार में
एक-एक कर डूब जाएगा सब-कुछ ...
एक डूबता हुआ आदमी
बार-बार ऊपर कर रहा है अपना सिर
उसका मस्तिष्‍क अभी निष्क्रिय नहीं हुआ है
वह सोच रहा है लगातार
बचने की उम्‍मीद बाक़ी है अब भी ...