भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नेपथ्य / महेश वर्मा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 26 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश वर्मा }} {{KKCatKavita}} <poem> और जैसे कि इ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
और जैसे कि इस छोटी सी पत्ती के नेपथ्य में है
धरती की गर्म तहों का भीतरी जल
और किसी बीज का सपना।
रंगों के नेपथ्य में बैठा है
जली हुई पुतलियों वाला चित्रकार
किसी दोपहर जो देखता रहा था
सूर्य की आँखों में देर तक।
स्मृतियाँ तो खुद ही इस समय का नेपथ्य हैं
उनके नेपथ्य में व्यतीत समय की आहटें हैं और
न पढ़े गए शोक प्रस्तावों की तरह के प्रेमपत्र।
बीमार इच्छाएँ और पागल कविताएँ हैं
ऋतुओं का नेपथ्य।
क्रूरताओं के नेपथ्य में हैं बड़ी-बड़ी इच्छाएँ
और अँधेरी जगहें मन की।