भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्पर्श / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:48, 26 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल }} {{KKCatKavita}} <poem> सेमल की ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सेमल की कलियाँ वैसे तो साँवली हैं
पर सूर्य के परस से
वैसे ही लाल हो जाती हैं
जैसे सूखी-साँवली लड़कियाँ
ससुराल जाकर
गुलाब हो जाती हैं