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अजब अख़बार लिक्खा जा रहा है / दिलावर 'फ़िगार'
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अजब अख़बार लिक्खा जा रहा है
के मंशा-वार लिक्खा जा रहा है
लिक्खी है हाल दिल में हाए-हौवज़
ये हाल-ए-ज़ार लिक्खा जा रहा है
कहीं गोली लिक्खा है और कहीं मार
ये गोली-मार लिक्खा जा रहा है
मैं रिश्ता-दार हूँ उस का सो मुझ को
सरिश्ता-दार लिक्खा जा रहा है
मिज़ाज-ए-यार बरहम है के उस की
मजाज़-ए-यार लिक्खा जा रहा है
समुंदर पार पढ़ने जा रहा हूँ
समुंदर पार लिक्खा जा रहा है