मैंने तुम्हें पुकारा
लेकिन
पास न आ जाना!
किसी एक आशा में
चहका मन
तो तोड़ गई,
एक उदासी
झाडू लेकर
खुशियाँ झाड़ गई।
वही उदासी तुम्हें छुए
यह मुझको नहीं गवारा
मेरे पास न आ जाना।
मौसम ने
सीटी दे-देकर
मुझको बहुत छला
मैं अभाव का राजा बेटा
पीड़ाएँ निगला
भटके बादल की प्यासों-सा
मैं दहका अंगारा
मेरे पास न आ जाना!
वर्तमान को
आस्तीन के साँपों ने घेरा
विगत
कि जैसे
डाइन कोई डाल जाए फेरा
आगत
घनी घटाओं वाला
अंजुरी भर उजियारा
मैंने तुम्हें पुकारा
लेकिन