भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं रिवायत हूँ एक भूली हुई / शाइस्ता यूसुफ़

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:40, 10 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शाइस्ता यूसुफ़ |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}}‎ ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं रिवायत हूँ एक भूली हुई
और तू जिद्दतों में रहता है

मेरी आँखें सवाल करती हैं
क्या ख़ुदा मंज़रों में रहता है

साअतें रक़्स कर रही हैं मगर
मेरा दिल उलझनों में रहता है

परचम-ए-जंग झुक गया लेकिन
वस्वसा सा दिलों में रहता है

गो चराग़ाँ किए गऐ ख़ेमे
पर अँधेरा दिलों में रहता है

आओ मौजों से पूछ कर आएँ
चाँद किन साहिलों में रहता है