भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम निर्वस्त्र नहीं हो मनोरमा / अनिता भारती
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:47, 11 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता भारती |संग्रह=एक कदम मेरा भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
छोटी सुन्दर
काली धौली आँखों वाली
गौरवर्णा, श्यामवर्णा
यौवन से गदराई
या फिर कृशरूपा
तुम्हें निर्वस्त्र किया देश रक्षकों ने
पर तुम निर्वस्त्र नहीं हो
तुम्हें वस्त्र पहनाने निकल आयी है
रणभूमि में
अनेक निर्वस्त्राएँ
तुम्हारे नंगे
क्षत-विक्षत शरीर ने
जगाई है क्रान्ति की अखण्ड लौ
जो रक्षकों-भक्षकों को
सालों-साल याद दिलायेगी
कि एक थी मनोरमा...