Last modified on 13 जुलाई 2013, at 14:26

पिता! हम दलित बेटियाँ... / अनिता भारती

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:26, 13 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता भारती |संग्रह=एक कदम मेरा भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम्हारे साथ लड़ती-झगड़ती
अपने बराबरी के
अधिकार मांगती
क्या वह हमें मिलेगा?

पिता! एक गुलाम कौम में
गुलाम कौम की तरह
अनपढ़ अभाव में तमाम तरह की
जिम्मेदारियाँ ओढ़े
हल्दी नमक के चक्कर मे
उलझी हुई बेटियाँ देख रही हैं सपने
और मांग रही हैं अपने
अधिकार तुमसे पिता!

ओ मेरे प्यारे पिता!
तुम्हारी दलित बेटियाँ
तुम्हारे दुख, तुम्हारी पीड़ा
अपने अपमान के खिलाफ
लड़ने के लिए खड़ा होना चाहती हैं

वे तुम्हारे साथ मोर्चे पर खड़ी हैं
कंधे से कंधा मिलाए
मरने को तैयार
झलकारी, ऊदा, महावीरी, सावित्री की तरह
सशक्त मजबूत मुक्त औरत की तरह

ओ पिता! साथ चलो!
तुम्हारी दलित बेटियाँ
बेहद ऊर्जावान हैं
संघर्षशील हैं
तुम्हारे साथ
पर तुम्हारे बराबर खड़ी
फक्र से सिर उठाए
असामनता के बरक्स
समानता का झंडा लिए
नेतृत्व की बागड़ोर संभालने
पिता तुम्हारी दलित बेटियाँ

ओ! मेरे प्यारे पिता!
मेरे साथ कदम मिलाओं पिता...!